श्री महाकालेश्वर मंदिर दर्शन | उज्जैन | मध्य प्रदेश

उज्जैन का प्राचीन नाम उज्जयिनी है । उज्जयिनी भारत के मध्य में स्थित उसकी परम्परागत सांस्कृतिक राजधानी रही । यह चिरकाल तक भारत की राजनीतिक धुरी भी रही । इस नगरी कापौराणिक और धार्मिक महत्व सर्वज्ञात है। भगवान् श्रीकृष्ण की यह शिक्षास्थली रही, तो ज्योतिर्लिंग महाकाल इसकी गरिमा बढ़ाते हैं। आकाश में तारक लिंग है, पाताल में हाटकेश्वर लिंग है और पृथ्वी पर महाकालेश्वर ही मान्य शिवलिंग है। सांस्कृतिक राजधानी रही। यह चिरकाल तक भारत की राजनीतिक धुरी भी रही। इस नगरी कापौराणिक और धार्मिक महत्व सर्वज्ञात है। भगवान् श्रीकृष्ण की यह शिक्षास्थली रही, तो ज्योतिर्लिंग महाकाल इसकी गरिमा बढ़ाते हैं।

श्री महाकालेश्वर मंदिर


आकाश में तारक लिंग है, पाताल में हाटकेश्वर लिंग है और पृथ्वी पर महाकालेश्वर ही मान्य शिवलिंग है।

आकाशे तारकं लिंगं पाताले हाटकेश्वरम् ।
भूलोके च महाकालो लिंड्गत्रय नमोस्तु ते ॥

जहाँ महाकाल स्थित है वही पृथ्वी का नाभि स्थान है । बताया जाता है, वही धरा का केन्द्र है -

नाभिदेशे महाकालोस्तन्नाम्ना तत्र वै हर: ।

बहुधा पुराणों में महाकाल की महिमा वर्णित है। भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में महाकाल की भी प्रतिष्ठा हैं । सौराष्ट्र में सोमनाथ, श्रीशैल पर मल्लिकार्जुन, उज्जैन मे महाकाल, डाकिनी में भीमशंकर, परली मे वैद्यनाथ, ओंकार में ममलेश्वर, सेतुबन्ध पर रामेश्वर, दारुकवन में नागेश, वाराणसी में विश्वनाथ, गोमती के तट पर ॥यम्बक, हिमालय पर केदार और शिवालय में घृष्णेश्वर। महाकाल में अंकितप्राचीन मुद्राएँ भी प्राप्तहोती हैं ।

उज्जयिनी में महाकाल की प्रतिष्ठा अनजाने काल से है । शिवपुराण अनुसार नन्द से आठ पीढ़ी पूर्व एक गोप बालक द्वारा महाकाल की प्रतिष्ठा हुई । महाकाल शिवलिंग के रुप में पूजे जाते हैं। महाकाल की निष्काल या निराकार रुप में पूजा होती है। सकल अथवा साकार रुप में उनकी नगर में सवारी निकलती है।

Mahakaleshwar Jyotirlinga is a Hindu temple dedicated to Lord Shiva and one of the twelve Jyotirlingams, shrines which are said to be the most sacred abodes of Lord Shiva. It is located in the ancient city of Ujjain in the state of Madhya Pradesh, India. The temple is situated on the side of the Rudra Sagar lake. The presiding deity, Lord Shiva in the lingam form is believed to be Swayambhu, deriving currents of power (Shakti) from within itself as against the other images and lingams that are ritually established and invested with mantra-shakti.

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